है दर्द वेदना सघन पीर, सबकी आंखों में भरा नीर,
क्यों जीवन यापन कठिन हुआ बतला दो मेरे महावीर,
क्या भूल हुई, हे महावीर, क्या भूल हुई, हे महावीर।।
क्या वृक्षों को हमने काटा,
क्या पृथ्वी का संहार किया
क्या दुर्बल बेबस पशुओं की,
हत्या की मांसाहार किया
क्या हुआ पाप इस मानव से,
जो जैविक दानव भेज दिया
सब काल गाल में समा रहे,
क्या नाश हुआ यह रोग दिया
क्या अरे कृत्य जो मिट जाए,
सद्मार्ग दिखाओ हरो पीर
क्या भूल हुई, हे महावीर, क्या भूल हुई, हे महावीर।।
क्या छीनी जगह दूसरों की,
क्या दूषित जल आहार दिया
न समझे दर्द परस्पर का,
क्या पर प्राणी पर वार किया
माना दुष्कर्म किए लाखों,
जन जन को बहुत सताया है
छल द्वेष क्रोध में रच पच कर,
अपनो से बैर बढ़ाया है
अब क्षमा मांगता हूं प्रभुवर,
दो क्षमा दान हे त्रिलोक वीर
क्या भूल हुई, हे महावीर, क्या भूल हुई, हे महावीर।।
एकल जन्मे एकल ही मरे,
चरितार्थ हुआ है दुनिया में
परिवारी मित्र कुटुम्बी जन,
सब रखे रहे इक पुड़िया में
हर जीव आपका रूप लिए,
न ध्यान रखा धिक्कार दिया
क्या पूजन में कुछ कमी रही,
क्या संतों का अपकार किया
हमको तो सामझ नहीं इसकी,
तुम्ही बतलाओ गुण गंभीर
क्या भूल हुई, हे महावीर, क्या भूल हुई, हे महावीर।।
Comments
Post a Comment