आया है चुनावी मेला,
जिसमे बोले केवल धेला, अब तो
वोटो का होगा फिर व्यापार,
मत लाना अब ऐसी सरकार
आया है चुनावी मेला...
चिकनी चुपड़ी बातो से झूठे रिश्ते नातो से,
कुर्सी ले छुप जाते है चाँद हो मावस रातो से,
रातों को करके काली
चुनकर आ जाए मवाली
इनके मंसूबों पर धिक्कार
गली को समझे ये उपहार
आया है चुनावी मेला...
मनमोहक ये वादे है होते भी न आधे है
अक्ल नहीं रत्ती भर भी शहजादे कहलाते है
सेवा को मूल बता कर
जनता को धूल चटाकर
झुठलाते वादे बीच बाज़ार
सह लेते है जूतों की मार
आया है चुनावी मेला!
जब गरीब दिख जाते है झट से गले लगते है
अम्मा, ताऊ, चाचा जी कहते कहते आते है
वादों से ख्वाब दिखाते
झोपड़ पट्टी में खाते
घड़ियालू आंसू की कर बौछार
करते है देश का बंटाधार
आया है चुनावी मेला!
अब जो मौका आया है पाँच वर्ष न आएगा
अब जो चूक गए भैया फिर अपराधी आएगा
बहकावे में मत आना
तुम अपनी सोच लगाना
किसको है कुर्सी का आधिकार
मत का मत करना तुम व्यापार
आया है चुनावी मेला!
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